त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥ चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। मैना मातु की ह्वै दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥ देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ भक्त https://lanemijdu.wikienlightenment.com/7177578/5_essential_elements_for_shiv_chalisa_lyrics_in_gujarati_pdf